सोमवार, 2 मार्च 2009

ख्वाब

ऐ खुदा ऐसा हो मेरा मकान
जो हो मेरे माँ - बाप की शान
मेरे दिल अज़ीज़ भाइयों की जा
और वहां हो तुम्हारा अलग मुकाम
ये खुदा ऐसा हो मेरे मकान
बजे मन्दिर में घंटियाँ
सबके कानों तक पहुचे अजान
में कहूँ अल्लाहु , तुम्हारे ॐ में छुपे भगवान
एक ही घर में दिखलादें हम
नवरात्रे और रमजान
ऐ खुदा ऐसा हो मेरा मकान

कुछ नया सा ।

कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा  दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...