कल रात ख्वाब में
मिल गये वो इस हलात में ,
हो गये वो दिल के मेहमा बस
एक रात में
जो भी थी दिल की आरजू
बस पुरी हुई ख्वाब में
ये तमन्ना रही दिल की दिल में
की मुलाकात होती महफिल में
अरमा दबे हैं इस दिल में
के तुम मिलो हकीकत में
काश तुम इस दिल के मेहमा होते
मेरे घर मैं तुम मेरे संग रहते
मगर क्या जाने उसके दिल मैं है
मिलना नही तुम से महफिल में है
चलो इस बहने
ख्वाब में ही तुम से मुलाकात करलें
और कुछ बात करलें !