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सोमवार, 5 जनवरी 2009

मुलाकात

कल रात ख्वाब में

मिल गये वो इस हलात में ,

हो गये वो दिल के मेहमा बस

एक रात में

जो भी थी दिल की आरजू

बस पुरी हुई ख्वाब में

ये तमन्ना रही दिल की दिल में

की मुलाकात होती महफिल में

अरमा दबे हैं इस दिल में

के तुम मिलो हकीकत में

काश तुम इस दिल के मेहमा होते

मेरे घर मैं तुम मेरे संग रहते

मगर क्या जाने उसके दिल मैं है

मिलना नही तुम से महफिल में है

चलो इस बहने

ख्वाब में ही तुम से मुलाकात करलें

और कुछ बात करलें !

कुछ नया सा ।

कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा  दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...