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शनिवार, 18 अप्रैल 2009

तू मेरे पास है

झूठ है सब तेरा ख्याल नहीं
पास है तू कोई मलाल नही
तू मेरे लहू में है अक्सर
केह दे तू रंग इसका लाल नहीं
इतना निखरा है जिंदगी ऐ तू
जितना मुझ पर कभी जमाल नहीं
कल रात रुबरु था छत पर
कैसे कहदुं वो हिलाल नहीं
दिल में तुम समाए हो ऐसे
"सैफ़" पर अब कोई सवाल नहीं

कुछ नया सा ।

कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा  दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...