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शनिवार, 17 जनवरी 2009

ख्वाब

मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
शान्ति के लिए ही सही
म्यान में सोई हुई तलवार बनना चाहता हूँ
तेरे आँखों से निकलते आंसुओं की धार बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
तेरे मन में उमड्ते प्यार की पतवार बनना चाहता हूँ
तेरे अधरों से निकलती आह पर
मुस्कान बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
ब्रह्मा की रची इस सिरिष्टि में
शेष पर बेठे हरी का अवतार बनना चाहता हूँ
राधा के लिए कृष्ण का प्यार बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ

कुछ नया सा ।

कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा  दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...