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सोमवार, 9 मार्च 2009

एक दिन


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एक दिन
ऐसा हो जाएगा
मैं घर से निकलूंगा
रास्ता खो जाएगा
एक दिन
वो मुझे फ़िर मिल जायेंगे
उम्रभर की क़समें फ़िर खायेंगे
और वो मुझे फ़िर तन्हां छोड़ जायेंगे
एक दिन
पुरे होंगे हर सपने
बन जायेंगे गैर भी अपने
और अपनों का दामन छुटेगा
अपना दिल फ़िर टूटेगा
एक दिन

कुछ नया सा ।

कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा  दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...