तुम्हे भी मेरी हद पता है ज़ालिम
चुन चुन के वार करती हो
जो यूँ बेकरार हैं हम तुम भी हो
या आँखों आँखों में प्यार करती हो
मुस्कुराती हो कभी शर्माती हो
ये सितम क्यूँ मेरे यार करती हो
रात का ख़ुमार रहता है पुरे दिन
तुम क्यूँ ऐसा श्रृंगार करती हो
बस एक नज़र और दीवाना किया
"सैफ़" को क्यूँ इतना बेकरार करती हो
चुन चुन के वार करती हो
जो यूँ बेकरार हैं हम तुम भी हो
या आँखों आँखों में प्यार करती हो
मुस्कुराती हो कभी शर्माती हो
ये सितम क्यूँ मेरे यार करती हो
रात का ख़ुमार रहता है पुरे दिन
तुम क्यूँ ऐसा श्रृंगार करती हो
बस एक नज़र और दीवाना किया
"सैफ़" को क्यूँ इतना बेकरार करती हो