गर्म हवाओं को बसंत की दस्तक
तिलक कर माथे पुरवाई के
आ जाओ झमाझम शरमाई सी
देखो रस्ता तकते हैं सब
चिराग लेकर हांथों में लेकर
न विचिलित करो मुरझाने को
आ जाओ तन मन भिगाने को
रस्ता तुम्हारा तकते हैं सब
धरती का तन बच्चों का अन
कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...