मुहब्बत भरे प्यार के सिलसिले
खुशियाँ बांटो दिल मिले न मिले
तन्हां है वो जो खुद को तन्हां कहे
हम तो पत्थरों के भी मिले हैं गले
रोते बिलखते बच्चों की सोचो
दो पैसे पर उनके दिल हैं खिले
नफरतें बाँट लो सब को लगा के गले
ऐ "सैफ़" ऐसा मौका मिले न मिले
कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...