शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

पीछे मुडकर देखा तो क्या देखा

पीछे मुडकर देखा तो क्या देखा
अपना ही दिल जला देखा
अभी सुबह नही हुई थी लेकिन
लाशों का काफिला देखा
मिटने हो उनके नाम पर
शहीदों का होंसला देखा
हमने डूब के इश्क के दरिया मैं
अपना रोम-रोम जला देखा

कुछ नया सा ।

कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा  दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...