वो दिन याद आगये जब हम कालेज मॅ थे. सच यार ब्लोग पर तेरे रचना को देख कर बड़ी खुशी हुई. उत्तम रचना के लिये धन्यवाद. ळिखते रहो शमशीर-ए-कलम से. ये अन्धेरा घना यॉ ही कट जायेगा....
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कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...
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वो दिन याद आगये जब हम कालेज मॅ थे. सच यार ब्लोग पर तेरे रचना को देख कर बड़ी खुशी हुई.
उत्तम रचना के लिये धन्यवाद. ळिखते रहो शमशीर-ए-कलम से. ये अन्धेरा घना यॉ ही कट जायेगा....
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