शनिवार, 28 फ़रवरी 2009
पीछे मुडकर देखा तो क्या देखा
शाम होते ही
शाम होते ही उनके रुख से पर्दा गिर जाएगा
अंधेरे मैं फिर कौन राह दिख लायेगा
गर्म मौसम मैं वो साथ तो देदेगा लेकिन
खिज़ा मैं हर अपना उससे दूर हो जाएगा
दर्द बढेगा तो कम भी होगा कभी
ये बात अलग है की मंज़र बदल जाएगा
''सैफ'' से सुन कर ये बेतुकिं बातें
ये बन्दा भी अपने घर निकल जाएगा
तुम असमंजस मैं हो
तुम असमंजस मैं हो
अभी जाँच लो परख लो मुझे
जिस दिन
शंकाएँ दूर हो जायेगी तुम्हारी
उस दिन
तुम मेरी
सिर्फ़ मेरी हो जाओगी
तुम असमंजस मैं हो
...........तमन्ना.........
कौन चाहता हैं हारें वो
चाँद से हैं प्यारे वो
चांदनी जले देख जिसे
चमकते हुए तारे वो
कौन सरहद पर जीये
जिन्दा हो तो मारे वो
साँस रुके रुक जाए
एक दफा पुकारें वो
''सैफ'' तुम लाचार हो और
इश्क मैं बेचारे वो
बुधवार, 25 फ़रवरी 2009
मैं समय हूँ
मैं तेरा दीवाना हो गया
मुझे प्यार दे या मार दे
मुझे प्यार दे या मार दे
ये शायद कल की बात लगती है दिनांक २६/०६/2005
शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009
...........गीत.............
मैं तड़पता रहा तू पिघलती रही
मैं तड़पता रहा तू पिघलती रही
मैं तड़पता रहा तू पिघलती रही
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009
.........प्राथना...........
...........ख्याल.............
..........सपना............
कुछ नया सा ।
कुछ नया सा है तजरुबा मेरा दूर का सही तू आशना मेरा । हाल ऐ दिल पूछते हो मेरा दिन तुम्हारे तो अंधेरा मेरा । कुछ रोशनी कर दो यहां वहां कई बार ...
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तुम्हे कुछ याद तो होगा ? शायद...... ये सवाल है या जवाब ? हो सकता है ..... क्या ? ये मैं नहीं जानता..... मैं समझा नहीं ? आप सवाल बहुत करते है...